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लेखनी प्रतियोगिता -10-Jun-2023


नजरों के परदे उतारकर
दिल के हिचकोले सम्हालकर
मैं तेरी राहों में बैठा
सारी उम्मीदें सँवारकर।

अक्सर मेरे मन की खिड़की
से कोई तुमको तकता है
ये मेरा मन भी हरदम बस
तेरी ही बातें करता है।

इस घर की दीवारें मुझको
आये दिन ताना देती हैं
तेरा अपना कौन बचा है
हंसके मुझसे ये कहती हैं।

कितना मैं तन्हा होता हूँ
दुनिया के बाजार में
जैसे चांद अकेला रहता
तारों की भरमार में।

आओ तो एक बात बताऊं
तुमको मन के बाग दिखाऊँ
मेरे मन में क्या होता है
तुमको मैं एक दिन समझाऊं।


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4 Comments

Punam verma

11-Jun-2023 08:14 AM

Very nice

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Asif

11-Jun-2023 07:56 AM

बहुत ही सुंदर और भावनात्मक अभिव्यक्ति

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Reena yadav

11-Jun-2023 05:44 AM

👍👍

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